नयी दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के दायरे में जुलाई 2025 में अंशधारकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आँकड़ों के अनुसार इस दौरान 21.04 लाख सदस्य जुड़े, जिनमें 9.79 लाख नये कर्मचारी शामिल हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि नये अंशधारक बनने वाले कर्मचारियों में 18 से 25 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं की हिस्सेदारी सर्वाधिक रही। कुल नये जुड़े सदस्यों में से लगभग 5.98 लाख यानी 61.06 प्रतिशत इसी आयु वर्ग से हैं। यह आँकड़ा देश में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ने का संकेत देता है। जुलाई 2024 की तुलना में जुलाई 2025 में ईपीएफओ सदस्यों की संख्या में शुद्ध रूप से 5.55 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसमें अकेले 18 से 25 वर्ष आयु वर्ग में 9.13 लाख सदस्य जुड़े, जो पिछले साल की तुलना में 4.09 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि में लगभग 16.43 लाख पूर्व सदस्य भी पुनः ईपीएफओ से जुड़े। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 12.12 प्रतिशत अधिक है। इनमें अधिकांश ने नौकरी बदलने पर अंतिम निपटान की बजाय अपनी संचित धनराशि को स्थानांतरित करना चुना। इससे न केवल उनके सामाजिक सुरक्षा संरक्षण का विस्तार हुआ बल्कि दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता भी सुनिश्चित हुई।
महिलाओं की भागीदारी में भी उल्लेखनीय इज़ाफा हुआ है। जुलाई 2025 में ईपीएफओ से लगभग 2.80 लाख नयी महिला सदस्य जुड़ीं। महिला अंशधारकों की कुल संख्या बढ़कर 4.42 लाख हो गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.17 प्रतिशत अधिक है। क्षेत्रीय स्तर पर महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पाँच प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। ये राज्य रोजगार सृजन और संगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा कवरेज के विस्तार में अग्रणी बने हुए हैं।
