गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि जातीय विभेद, छुआछूत, अश्पृश्यता के चलते जबतक सामाजिक एकजुटता का अभाव रहेगा तब तक राष्ट्रीय एकता को चुनौती मिलती रहेगी। योगी ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 55वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन शनिवार को महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि यही कारण है कि भारत की मार्गदर्शक संत परंपरा ने समाज को जोड़ने का संदेश दिया है और हमें बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से सतर्क होकर और एकजुट होकर देश और समाज हित के लिए काम करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संतों की पुण्यतिथि पर आयोजन से, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के स्मरण से नई प्रेरणा मिलती है। योगी ने कहा कि पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज के साथ सेवा के अनेक प्रकल्पों से जुड़कर काम करने का सौभाग्य मुझे मिला। वे मूलतः धर्माचार्य थे। उनमें वात्सल्य भाव था। वह मार्गदर्शक और सच्चे समाज सुधारक थे। सहज और सरल लोगों के लिए वह वात्सल्य स्वरूप थे तो धर्म विरोधी आचरण करने वालों की प्रति वज्र जैसे कठोर। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज और जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं जिसे गोरक्षपीठ ने आगे न बढ़ाया हो।
पीठ की परंपरा जोड़ने की रही है। पीठ ने इतिहास के अलग.अलग कालखंडों में उन कारणों को समझने के लिए प्रेरित किया जिनकी वजह से देश को गुलाम होना पड़ा। यह पीठ इसलिए भी समाज की एकजुटता की बात करती है कि जब भी समाज में जाति की खाई को चौड़ा करने का प्रयास किया गया तब.तब इसका दुष्परिणाम देश को लंबे समय तक गुलामी के रूप में भुगतना पड़ा। योगी ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गुलामी की मानसिकता इतनी हावी रही कि तत्कालीन नेतृत्व देश की सही दिशा नहीं तय कर पाया। उन्होंने कहा कि अनेक बलिदानियों के सर्वस्व बलिदान से हासिल स्वतंत्रता के बाद भी देश को सही दिशा न मिलने से संतों में आक्रोश था।