लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी) को 2017 से पहले उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार के कार्यकाल में व्याप्त भ्रष्टाचार का नमूना करार दिया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने शुक्रवार को कहा कि 2012 से 2017 के बीच सत्ता में रही अखिलेश यादव सरकार का कार्यकाल काम नहीं बल्कि कारनामों के लिए जाना जाता है और जेपीएनआईसी इन्हीं काले कारनामों में से एक है। वास्तव में जेपीएनआईसी परियोजना भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है, जहां तीन बार बजट रिवाइज कर घोटाले को अंजाम दिया गया, लेकिन फिर भी निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका।
उन्होने कहा कि लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) द्वारा परियोजना की प्रस्तावित लागत 421.93 करोड़ रुपए थी, जिसे व्यय वित्त समिति द्वारा 265.58 करोड़ रुपए आंकलित किया गया। इसके बाद इसमें बजट रिवीजन का खेल शुरू हुआ। 2015 में इसे बढ़ाकर 615.44 करोड़ किया गया तो 2015 में यह फिर रिवाइज होकर 757.68 करोड़ पहुंचा गया। तीसरी बार यानी नवंबर 2016 में इसकी रिवाइज लागत को 864.99 करोड़ कर दिया गया। यानी कुल प्रस्तावित लागत का दोगुना से भी ज्यादा है। अवस्थी ने कहा कि शासन द्वारा स्वीकृत 864.99 करोड़ के सापेक्ष 821.74 करोड़ रुपए की धनराशि अवमुक्त भी कर दी गई, जिसे परियोजना पर व्यय किया जा चुका है। लेकिन इसके बावजूद निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका। उन्होने कहा कि योजना शुरू होने से लेकर सरकार की विदाई तक परियोजना की लागत दोगुनी से ज्यादा पहुंच गई (421.93 करोड़ से 864.99 करोड़ रुपए)। यह भ्रष्टाचार की ओर स्पष्ट इशारा करता है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सपा अध्यक्ष और कार्यकर्ता प्रदेश के माहौल को खराब करने के लिए एक निर्माणाधीन इमारत को तूल देने की कोशिश कर रहे हैं। यह हरियाणा में मिली हार की खिसियाहट दिखा रहा है। गौरतलब है कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर एलडीए ने निर्माण कार्य का हवाला देते हुये जेपीएनआईसी में सपा को प्रवेश की अनुमति देने से मना कर दिया था। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे सरकार की साजिश बताते हुये लोकतंत्र की हत्या बताया था।