देश की आर्थिक स्थिति संकटग्रस्त, सरकार के पास कोई नहीं ठोस समाधान: कांग्रेस


नई दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर देश की आर्थिक स्थिति को खराब करने का आरोप लगाया है। पार्टी का कहना है कि देश इस समय आर्थिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है, और इसके लिए मोदी सरकार की गलत नीतियां जिम्मेदार हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बयान में कहा कि देश में आम लोगों की आर्थिक स्थिति को सात प्रमुख संकेतकों के माध्यम से समझा जा सकता है। इनमें गोल्ड लोन की बढ़ती मांग और उसके एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) में तेज उछाल प्रमुख हैं।

गोल्ड लोन में वृद्धि: 50% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इसके एनपीए में 30% का उछाल आया है।
खपत में गिरावट: पिछले 8 तिमाहियों में उपभोक्ता खपत कोविड-पूर्व स्तर तक नहीं पहुंच पाई है।
कार बिक्री में गिरावट:
बिक्री चार साल के निचले स्तर पर है।
ईएमपीआई क्षेत्रों में वेतन वृद्धि:
पिछले 5 वर्षों में केवल 0.8% की वार्षिक वृद्धि दर्ज हुई है।
खाद्य मुद्रास्फीति:
औसत दर 7.1% रही है।
घरेलू बचत में गिरावट:
यह 50 वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गई है।
रुपये का अवमूल्यन:
यह अपने सबसे निचले स्तर पर है, जिससे विदेशी फंड बाहर जा रहे हैं और छोटे निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है।

महंगाई और गिरती बचत पर निशाना

खरगे ने कहा कि जीएसटी के रूप में अप्रत्यक्ष कराधान घरेलू बचत को कम कर रहा है। घरेलू वित्तीय देनदारियां अब जीडीपी का 6.4% हैं, जो दशकों में सबसे अधिक है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, *”प्रधानमंत्री मोदी के ‘नए साल के संकल्प’ हर नागरिक के जीवन को प्रभावित करने वाले खोखले वादों से ज्यादा कुछ नहीं हैं।”

जयराम रमेश ने भी साधा निशाना

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी गोल्ड लोन और अर्थव्यवस्था की स्थिति पर सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि गोल्ड लोन एनपीए में 2024 के शुरुआती महीनों में 30% की वृद्धि हुई है। मार्च से जून के बीच यह 5,149 करोड़ रुपये से बढ़कर 6,696 करोड़ रुपये हो गया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह तो केवल औपचारिक क्षेत्र के आंकड़े हैं, जबकि अनौपचारिक क्षेत्र में लिए गए गोल्ड लोन का कोई अनुमान नहीं है। जब परिवार इन लोन को चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो उन्हें अक्सर अपनी सोने की संपत्ति गंवानी पड़ती है, जिसमें महिलाओं के गहने, विशेषकर मंगलसूत्र शामिल होते हैं। कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि वह देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए।


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