प्रयागराज। पहाड़ों में हो रही बारिश का असर उत्तर प्रदेश के मैदानी भाग में दिखने लगा है। संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियाें का जलस्तर चेतावनी बिन्दु 83.73 मीटर को पार कर खतरे के निशान 84.73 मीटर के नजदीक पहुंच चुका है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार दोनो नदियों के जलस्तर बढ़ने की रफ्तार हालांकि धीमी है। पिछले 12 घंटों में गंगा का जलस्तर 15 सेंटीमीटर और यमुना का 12 सेंटीमीटर बढ़ा है। रविवार रात आठ बजे फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 83.92 मीटर और छतनाग में 83.14 मीटर तथा नैनी में यमुना 83.78 मीटर दर्ज किया गया था।
आंकडों के अनुसार सोमवार की सुबह आठ बजे फाफामऊ में गंगा धीमी गति से 15 सेंटीमीटर बढ़कर 84.07 मीटर पर पहुंच गयी हैं वहीं छतनाग में 26 सेंटीमीटर बढ़कर 83.40 मीटर पर बह रही हैं जबकि नैनी में एक सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ते हुए कुल 12 सेंटीमीटर बढ़कर 83.90मीटर पर बह रही हैं।प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति को देखते हुए हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। शहर में सात बाढ़ राहत शिविरों का संचालन शुरू कर दिया है। अब तक 254 परिवारों के 1130 बाढ़ पीड़ित लोग शरण ले चुके हैं। निचले इलाकों में सतर्कता बरतने के निर्दश दिए गए हैं। बाढ़ वाले तहसील क्षेत्रों में लोगों के आवागमन की सुविधा के लिए कुल 27 नाव लगाई गई हैं।
फूलपुर तहसील के बदरा सोनौटी में छह, करछना के भगेसर देहली में एक, सदर तहसील के दारागंज में तीन, बघाड़ा में 10 तथा राजापुर में सात नावें तैनात की गई हैं। इसके अलावा एनडीआरएफ की एक, एसडीआरएफ की दो, पीएसी बाढ़ राहत दल की दो और जल पुलिस की एक कंपनी लगाई है। यमुना नदी की बाढ़ ने महाकुंभ की तैयारियों पर एक बार फिर ब्रेक लगा दिया। नैनी में अरैल घाट पर पक्के घाट का निर्माण के लिए कार्य चल रहा था जो थम गया। कई सीढियां बाढ़ में बह गई हैं। तटीय इलाकों के बाढ़ का पानी घरों घुस गया है जिससे लोगों को सामान के साथ सुरक्षित स्थान पर जा रहे हैं।