
भगवान हनुमान हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं। वे असीम शक्ति, अद्भुत भक्ति और अटूट विश्वास के प्रतीक माने जाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी को महादेव शिव का अवतार भी कहा जाता है, जो अपने भक्तों की हर प्रकार की विपदा को दूर करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। उनके चरित्र से न केवल शक्ति और पराक्रम की प्रेरणा मिलती है, बल्कि सेवा, त्याग और भक्ति का संदेश भी प्राप्त होता है।
हनुमान जी का जन्म और उनकी बाल लीलाएं
हनुमान जी का जन्म अंजनी माता और केसरी नंदन के रूप में हुआ था। इसलिए उन्हें अंजनेय और केसरी नंदन भी कहा जाता है। वे वायुदेव के आशीर्वाद से उत्पन्न हुए थे, इसलिए उन्हें ‘पवनपुत्र’ भी कहा जाता है।
बाल्यकाल में ही हनुमान जी ने अपनी अद्भुत शक्ति का परिचय देना शुरू कर दिया था। एक बार वे सूर्य को देखकर उसे लाल फल समझ बैठे और आकाश में उड़कर उसे निगलने के लिए बढ़ गए। इस घटना से पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया। इंद्रदेव ने वज्र से प्रहार कर हनुमान जी को मूर्छित कर दिया, जिससे उनके गाल (हनु) में चोट लगी। यही कारण है कि उनका नाम “हनुमान” पड़ा। बाद में वायुदेव के क्रोधित होने पर देवताओं ने हनुमान जी को अनेक वरदान दिए, जिससे वे अमरत्व और महान शक्तियों से संपन्न हो गए।
हनुमान जी और रामभक्ति

हनुमान जी को भगवान राम के परम भक्त के रूप में जाना जाता है। जब माता सीता का रावण द्वारा हरण कर लिया गया, तब हनुमान जी ने सुग्रीव की सहायता से श्रीराम से मिलन करवाया। इसके बाद हनुमान जी ने सीता माता की खोज में लंका की यात्रा की और अपने पराक्रम से लंका दहन किया।
हनुमान जी का सबसे बड़ा गुण उनकी भक्ति और सेवा भावना थी। वे बिना किसी अहंकार के, पूरी निष्ठा और प्रेम के साथ भगवान श्रीराम की सेवा में लगे रहे। हनुमान जी के लिए राम नाम ही सबकुछ था। जब भगवान श्रीराम ने कहा कि वे उन्हें अपना सबसे प्रिय भक्त मानते हैं, तो हनुमान जी ने अपने हृदय को चीरकर दिखाया, जिसमें भगवान राम और माता सीता का वास था।
हनुमान जी के प्रमुख गुण
- शक्ति और पराक्रम: हनुमान जी अपार बलशाली हैं। वे पर्वतों को उठा सकते हैं, समंदर को लांघ सकते हैं और शत्रुओं का संहार कर सकते हैं।
- भक्ति और समर्पण: उनकी श्रीराम के प्रति अटूट भक्ति और समर्पण उन्हें सबसे अलग बनाती है।
- निस्वार्थ सेवा: वे बिना किसी स्वार्थ के अपने प्रभु की सेवा करते रहे।
- ज्ञान और बुद्धिमत्ता: हनुमान जी केवल बलशाली ही नहीं, बल्कि अत्यंत बुद्धिमान भी थे। वे वेदों और शास्त्रों के ज्ञाता थे।
- अजर-अमर: हनुमान जी को वरदान प्राप्त है कि वे चिरंजीवी (अमर) रहेंगे और जब तक यह संसार रहेगा, उनकी पूजा होती रहेगी।
हनुमान जी की पूजा और महत्व
हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को की जाती है। भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करके उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। यह माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से हनुमान जी की आराधना करता है, उसके जीवन से भय, दुख और संकट दूर हो जाते हैं। हनुमान जी की भक्ति से हमें सिखने को मिलता है कि भक्ति में कोई अहंकार नहीं होना चाहिए। सच्ची भक्ति वही है जो पूरी श्रद्धा, प्रेम और समर्पण से की जाए। हनुमान जी की निस्वार्थ सेवा और शक्ति हमें यह सिखाती है कि जीवन में समर्पण और परिश्रम से हर लक्ष्य को पाया जा सकता है।
भगवान हनुमान शक्ति, भक्ति और निष्ठा के आदर्श स्वरूप हैं। उनके चरित्र से हमें दृढ़ निश्चय, साहस, परिश्रम और सच्ची भक्ति का संदेश मिलता है। वे आज भी इस संसार में जीवंत हैं और अपने भक्तों की सहायता करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। जो भी व्यक्ति हनुमान जी की भक्ति करता है, उसे जीवन में हर प्रकार की सफलता और संकटों से मुक्ति मिलती है।
मार्कण्डेय सिंह