लखनऊ : विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से स्थानीय एक होटल में ‘मानसिक स्वास्थ्य पर परिचर्चा’ का आयोजन किया गया । परिचर्चा में भाग ले रहे किशोर-किशोरियों को विषय विशेषज्ञों ने मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के टिप्स देने के साथ उनके सवालों के जवाब भी दिए। इस मौके पर जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डा. राजेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया- जिले में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बलरामपुर जिला अस्पताल में जिला मानसिक प्रकोष्ठ और जिला मानसिक क्लीनिक का संचालन किया जा रहा है । जहां पर मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परामर्श की सुविधा के साथ इलाज की भी व्यवस्था है । इसके अलावा मनकक्ष की भी स्थापना की गई है, जहाँ पर प्रशिक्षित काउंसलर्स लोगों की समस्याओं का समुचित समाधान करते हैं। दुआ से दवा तक कार्यक्रम के तहत मजारों पर कैम्प लगाकर लोगों की आस्था का पूरा ख्याल रखते हुए मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को दुआ के साथ दवा (इलाज) के लिए प्रेरित करते हैं। डा. चौधरी ने कहा – मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए किरण हेल्पलाइन – 1800-599-0019 पर कॉल कर सकते हैं। इसके साथ ही मोबाइल न. 9451122854 पर भी कॉल कर मदद प्राप्त कर सकते हैं।
संबल ड्रग डीएडिक्शन एण्ड साइक्रेटिक सेंटर की निदेशक डा. शशि राय ने बताया- पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति वही होता है जो शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ हो और वह अपनी क्षमता के अनुरूप काम कर लेता हो। 10 से 19 वर्ष की आयु में लगभग 50 फीसद बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें जन्म लेती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार करीब छह में से एक बच्चा मानसिक रूप से अस्वस्थ है। इसके अलावा 13 से 15 फीसद बच्चे एनजाइटी और 7 से 10 फीसद बच्चे ध्यान न लगने की समस्या से पीड़ित हैं। कोविड के दौरान अपनों को खोने, ऑनलाइन क्लासेस, लंबे समय तक घर में रहने, लंबे समय तक मोबाइल देखने के कारण बच्चों में डिप्रेशन और एनजाइटी की समस्या दिखाई दे रही है । भूख न लगना, अधिक भूख का लगना, चिड़चिड़ापन, व्यवहार में बदलाव इसके प्रमुख लक्षण हैं । यदि यह लक्षण दिखे तो मनोचिकित्सक से संपर्क जरूर करें।