लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन द्वारा लागू की जा रही ‘वर्टिकल व्यवस्था’ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संगठन का कहना है कि इस नई व्यवस्था से बिजली विभाग में कार्यरत हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी पर संकट मंडराने के साथ-साथ दुर्घटनाओं का खतरा और उपभोक्ताओं को बिजली संकट झेलने की स्थिति पैदा हो जाएगी।
संघ के प्रदेश महामंत्री देवेन्द्र कुमार पांडेय ने बताया कि प्रबंधन के इस फैसले से न केवल कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय होगा, बल्कि विभाग पर आर्थिक भार भी बढ़ेगा। इसको ध्यान में रखते हुए संघ ने विरोध प्रदर्शन और असहयोग आंदोलन का निर्णय लिया है।
1 नवम्बर को होगा विरोध प्रदर्शन
संघ के बैनर तले 1 नवम्बर 2025 को सुबह 10 बजे, अधीक्षण अभियंता, विद्युत नगरीय वितरण मंडल-तृतीय, तालकटोरा, लेसा लखनऊ कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इस दौरान कर्मचारियों की ओर से अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड, शक्ति भवन, लखनऊ को संबोधित ज्ञापन सौंपा जाएगा।
असहयोग आंदोलन की घोषणा
संघ ने स्पष्ट किया है कि आंदोलन के दौरान कोई भी बिजली आउटसोर्स कर्मचारी विभागीय कार्यों में अपने मोबाइल फोन या बाइक का उपयोग नहीं करेगा। सभी कर्मचारी केवल 8 घंटे प्रतिदिन और 26 दिन महीने में ही कार्य करेंगे। यदि आंदोलन के दौरान किसी कर्मचारी या पदाधिकारी के साथ उत्पीड़न की घटना हुई तो संगठन पूर्ण कार्य बहिष्कार का ऐलान करेगा।
देवेन्द्र कुमार पांडेय ने कहा कि संघ का उद्देश्य विभाग की कार्यप्रणाली को बाधित करना नहीं, बल्कि आउटसोर्स कर्मचारियों के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा करना है। उन्होंने राज्य सरकार और पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन से मांग की है कि वर्टिकल व्यवस्था को तत्काल वापस लिया जाए और कर्मचारियों की चिंताओं पर गंभीरता से विचार किया जाए। संघ का कहना है कि यदि सरकार ने समय रहते उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
