लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस आज की तारीख में अपराध नियंत्रण के लिए देशभर में खूब वाहवही लूट रही है। हो भी क्यों न दशकों से जुड़े जमाए अपराधियों को मिट्टी में मिला जो रही है। परंतु आर्थिक अपराधों के अनेकों गंभीर मामलों में इसी तेज तर्रार पुलिस फोर्स के हाथ बंधे हुए नजर आते हैं। जोकि अस्पष्ट रूप से तकनीकी दक्षता के अभाव को परिलक्षित करता है। बहुचर्चित हजारों करोड़ के अनी बुलियन घोटाले में उत्तर प्रदेश पुलिस आज तक संभवत इसी कारण से फिसड्डी साबित हो रही है। विदित है कि अनी बुलियन घोटाले में विदेश मंत्रालय में कार्यरत आईएफएस निहारिका सिंह व उनके पति अजीत गुप्ता द्वारा प्रायोजित था।
अजीत गुप्ता विगत 3 वर्षों से जेल में है। परंतु आईएफएस निहारिका सिंह के पद का वर्चस्व के कारन गिरफ्तारी तो छोड़िए उनके ऊपर किसी प्रकार की विभागीय कार्रवाई तक नहीं हुई और न ही उनके द्वारा किए गए आर्थिक लूट के उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर उनके खिलाफ कोई जांच की गई। यह स्थिति तब है जब भारत के भारत सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की पर कार्य कर है। लेकिन उनकी नाक के नीचे विदेश सेवा का सर्वोच्च अधिकारी क्या गुल खिला रहा है। इसकी जानकारी इनके तक नहीं पहुंच पाती। ऐसा प्रतीत होता है कि इस सरकार में भी सिस्टम पुराने हिसाब से चल रहा है। घोटाले के उत्तर प्रदेश सरकार से ही नहीं बल्कि भारत सरकार का प्रधानमंत्री कार्यालय तक निवेशकों ने ठगी की शिकायत की है। फिर भी अनी बुलियन कंपनी से पीड़ित निवेशक दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
अनी बुलियन ग्रुप पर लगभग 150 मुकदमे दर्ज होने के बावजूद निवेशकों को अपनी डूबी हुई रकम वापसी की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। हाल यह है कि आज तक किसी को भी सही-सही जानकारी नहीं कि कितने करोड़ का घोटाला है। जबकि श्याम इन्फोटेक सॉफ्टवेयर डेवलपर के पास से पूरे घोटाले की जानकारी बहुत ही आसानी से जुटाई जा सकती है। बैंक ट्रांजेक्शन से भी साडी जानकारी जुताई जा सकती है।ये लोग आर्थिक अपराधों को इतना हल्के में लेते हैं इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ एजेंट कई मुकदमे करा रखे हैं।
उन्हें खुद को पीड़ित दिखाते हुए निहारिका सिंह केपति अजित गुप्ता पर मामले दर्ज करा रखे हैं। निवेशकों और आमजन में हैरानी इस बात की है की लगभग 20 एफआईआर दर्ज होने के बावजूद आई एफ एस अधिकारी निहारिका सिंह को निलंबित छोड़िए उनके पद से नहीं हटाया गया। श्रीमती सिंह पर पहली ईएफआईआर (0062/2020 )अयोध्या जिले में कुमारगंज थाने में राजकुमार सिंह व अन्य द्वारा दर्ज कराई गई। जिसकी जाँच थाना इनायत नगर स्थानांतरित कर दी गयी और अंततः निहारिका सिंह को साक्ष्यों को दरकिनार कर दोषमुक्त करार कर दिया गया।