भारत 2027 तक विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में होगा: राजनाथ सिंह


सैनिकों और उनके परिजनों के कल्याण में योगदान प्रत्येक नागरिक का राष्ट्रीय कर्तव्य: रक्षा मंत्री

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नागरिकों से सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण में सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने इसे प्रत्येक भारतीय का राष्ट्रीय कर्तव्य बताते हुए कहा कि देश के सैनिक कठिन परिस्थितियों में सीमाओं पर सतर्कता से तैनात रहते हैं और हर खतरे से राष्ट्र की रक्षा करते हैं। ऐसे में उनका समर्थन करना सभी नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है।

सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित सशस्त्र सेना झंडा दिवस कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (एएफएफडी सीएसआर) सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार न केवल भारत की सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने बल्कि सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सीएसआर का मतलब केवल 2 प्रतिशत योगदान देना नहीं है, बल्कि यह सैनिकों और उनके आश्रितों के प्रति दिल से जुड़ाव का भाव है। उन्होंने कॉर्पोरेट प्रमुखों से अपील की कि उनका योगदान केवल एक दान नहीं बल्कि समाज और राष्ट्र की सेवा है, जो उनकी बैलेंस शीट में संतोष और खुशी की संपत्ति के रूप में दर्ज होगा।

सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के संयुक्त प्रयासों से आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है और इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए भारत 2027 तक दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बना लेगा।

उन्होंने कॉर्पोरेट घरानों द्वारा एएफएफडी फंड में उदारतापूर्वक किए गए योगदान की सराहना की और प्रमुख सीएसआर दानदाताओं को सम्मानित किया। रक्षा मंत्रालय के पूर्व सैनिक कल्याण विभाग द्वारा युद्ध विधवाओं, शहीद सैनिकों के आश्रितों, दिव्यांग पूर्व सैनिकों और उनके पुनर्वास के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है, जिसमें निर्धनता अनुदान, बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा अनुदान और दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष सहायता शामिल है।

इस अवसर पर रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) डॉ. नितेन चंद्रा, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, सीएसआर समुदाय के सदस्य तथा सशस्त्र बलों के सेवारत एवं सेवानिवृत्त कार्मिक उपस्थित रहे।


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