लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश परिवहन और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। ‘विकसित यूपी @2047’ के लक्ष्य के तहत राज्य ने पिछले साढ़े आठ वर्षों में सड़क, एक्सप्रेसवे और हवाई कनेक्टिविटी में अभूतपूर्व निवेश और निर्माण कार्य किए हैं। इससे न केवल प्रदेश की आर्थिक गति तेज हुई है, बल्कि निवेश, व्यापार और पर्यटन के नए अवसर भी खुले हैं।
पहले धीमी प्रगति, सीमित संसाधन
राज्य सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, वर्ष 2017 से पहले उत्तर प्रदेश में सड़क और हवाई सेवाओं का विस्तार बेहद सीमित था। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क की कुल लंबाई 2013-14 में 51,549 किलोमीटर थी, जो 2016-17 में मात्र 56,846 किलोमीटर तक पहुँची। एविएशन क्षेत्र की स्थिति भी कमजोर थी — 1999 से 2016 तक 17 वर्षों में विमान यात्रियों की संख्या में सिर्फ 55 लाख की वृद्धि हुई। उस समय प्रदेश में केवल तीन एक्सप्रेसवे और गिने-चुने हवाई अड्डे ही उपलब्ध थे।
नई उड़ान : साढ़े आठ वर्षों में बड़ा बदलाव
2017 के बाद योगी सरकार ने समन्वित और दीर्घकालिक योजना के साथ परिवहन नेटवर्क को मजबूती प्रदान की। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत सड़क नेटवर्क 2024-25 तक बढ़कर 77,425 किलोमीटर तक पहुँच गया। एक्सप्रेसवे निर्माण में उत्तर प्रदेश देश में सबसे आगे है, जहाँ 22 एक्सप्रेसवे परियोजनाओं पर काम जारी है। हवाई संपर्क के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। आज प्रदेश में 12 घरेलू और 4 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे चालू हैं। ये हवाई अड्डे व्यापार, पर्यटन और माल ढुलाई के नए केंद्र बनते जा रहे हैं।
एक्सप्रेसवे प्रदेश की ओर यूपी की यात्रा
अब उत्तर प्रदेश को ‘एक्सप्रेसवे प्रदेश’ कहा जाने लगा है। जहाँ 1949-50 में कोई एक्सप्रेसवे नहीं था, वहीं 2016-17 तक यह संख्या केवल 3 थी। लेकिन 2025-26 तक यह बढ़कर 22 हो गई है। इनमें पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे जैसे परियोजनाएँ शामिल हैं। ये न केवल आंतरिक संपर्क बढ़ा रही हैं, बल्कि प्रदेश को लॉजिस्टिक हब के रूप में स्थापित करने में मदद कर रही हैं।
निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे : नेटवर्क का विस्तार
प्रदेश में कई नए एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए हैं, जिनमें गंगा एक्सप्रेसवे, चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे, लखनऊ लिंक एक्सप्रेसवे, फर्रुखाबाद लिंक एक्सप्रेसवे, जेवर लिंक एक्सप्रेसवे, झांसी लिंक एक्सप्रेसवे, विंध्य एक्सप्रेसवे, विंध्य-पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेसवे, मेरठ-हरिद्वार लिंक एक्सप्रेसवे और चित्रकूट-रीवा लिंक एक्सप्रेसवे शामिल हैं। इन परियोजनाओं के पूरे होने के बाद प्रदेश की सड़कें और मजबूत होंगी और पड़ोसी राज्यों से कनेक्टिविटी में बड़ा सुधार होगा।
राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में रिकॉर्ड वृद्धि
2004-05 में उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग की कुल लंबाई 5,599 किलोमीटर थी, जो 2023-24 तक बढ़कर 12,292 किलोमीटर हो गई। इससे व्यापार, माल ढुलाई और औद्योगिक विकास को नई ऊर्जा मिली है। राज्य अब उत्तर भारत में एक रणनीतिक ट्रांजिट हब बन चुका है।
हवाई सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव
1950 में जहाँ प्रदेश में एक भी हवाई अड्डा नहीं था, वहीं 2025 तक इनकी संख्या 16 हो चुकी है, जिसमें 12 घरेलू और 4 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे शामिल हैं। जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा आने वाले समय में एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट्स में शामिल होगा और यह प्रदेश को कार्गो व ट्रांजिट हब के रूप में वैश्विक पहचान देगा।
विमान यात्रियों की संख्या में तेज़ उछाल
जहाँ 1999 से 2016 के बीच विमान यात्रियों की संख्या में 55 लाख की वृद्धि हुई थी, वहीं पिछले आठ वर्षों में यह बढ़कर 82 लाख हो गई। 2025 में प्रदेश में विमान यात्रियों की संख्या 1.42 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है। इससे एविएशन क्षेत्र में यूपी की नई पहचान बनी है।
2030 तक कनेक्टिविटी का महाजाल
योगी सरकार अब 2030 तक उत्तर-दक्षिण कनेक्टिविटी को मजबूत करने की योजना पर काम कर रही है। सभी जिला मुख्यालयों को एक्सप्रेसवे से जोड़ना, नेपाल सीमा पर बहुउद्देशीय ट्रांजिट हब बनाना और पर्यटन स्थलों पर विश्वस्तरीय रोपवे विकसित करना इसके प्रमुख लक्ष्य हैं।
विजन 2047 : एक मंडल – एक एयरपोर्ट
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक उत्तर प्रदेश के हर मंडल में एक विश्वस्तरीय एयरपोर्ट स्थापित हो। सभी 75 जिलों को एक्सप्रेसवे और हवाई नेटवर्क से जोड़ने की योजना है। साथ ही ग्रीन स्मार्ट हाईवे, एयर कार्गो हब, हेलिपोर्ट और आधुनिक एविएशन इकोसिस्टम के माध्यम से प्रदेश को एक वैश्विक संपर्क केंद्र बनाया जाएगा।
